इस सिसकती जिंदगी को जिंदगी कैसे कहूँजो करी तुमने थी मेरी बन्दगी कैसे कहूँ इस सिसकती जिंदगी को जिंदगी कैसे कहूँजो करी तुमने थी मेरी बन्दगी कैसे कहूँ
सूरज कहाँ छुपता है? वो तो चाँद को अपने सामने कर लेता है, अपनी रोशनी शीतल कर उसे देता है सारी रात। ता... सूरज कहाँ छुपता है? वो तो चाँद को अपने सामने कर लेता है, अपनी रोशनी शीतल कर उसे ...
खुद से बेखबर हो गए है हम...। खुद से बेखबर हो गए है हम...।
मैं हर किसी के हर सवाल का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझती मैं हर किसी के हर सवाल का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझती
वैसे भी चांद तो रात को ही चमकता है। और रात को कोई नहाने नहीं जाता समंदर में वैसे भी चांद तो रात को ही चमकता है। और रात को कोई नहाने नहीं जाता समंदर में
लाशों की ढेरी से इस प्रतिच्छाया चाँद से भी अधिक वह चाँद हिला हुआ है।' लाशों की ढेरी से इस प्रतिच्छाया चाँद से भी अधिक वह चाँद हिला हुआ है।'